जांच समिति ने कहा पद पर बने रहने लायक नहीं है जस्टिस यशवंत वर्मा-
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस वर्मा के लिए आगे आने वाला समय काफी मुश्किलों भरा होने वाला है क्योंकि उनके आवास में जो बड़ी मात्रा में नगदी मिली थी उसमें जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट को सबमिट कर दिया है। तीन न्यायाधीशों से बनी जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ कदाचार साबित होता है जाँच समिति न्यायाधीशों का मानना है कि अब जस्टिस वर्मा अपने पद पर बने रहने लायक नहीं रहे हैं जाँच समिति ने कहा है कि जो आरोप जस्टिस वर्मा पर लगे हैं वह काफी गंभीर प्रकृति के हैं इसलिए उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है जब यह मई में रिपोर्ट आई थी तब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भी महाभियोग चलाने की अपनी अनुसंशा को जाहिर किया था उसी अनुशंसा के आधार पर पहले ही सरकार की ओर से कार्यवाही को शुरू किया जा चुका है राजनीतिक दलों में आपसी सहमती बनाने के लिए यह कार्य संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू को दिया गया है सरकार की 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में ही महाभियोग लाने की मंशा है।
जस्टिस वर्मा के घर से पैसे मिलने का क्या था मामला जाने-
जस्टिस वर्मा जब दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे तो उसे समय 14 मार्च की रात को उनके घर पर आग लगी आग बुझाने के लिए दमकल के लोग आए और पुलिस एवं कुछ अन्य लोग आए तो उन्होंने वहां पर उनके घर पर स्टोर रूम में बड़ी मात्रा में जले हुए नोटों की गड्डियां को देखा था।
इस घटना के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की एक जांच समिति बनाई थी
इस जाँच समिति ने जांच करने के बाद और लगभग 55 गवाहों से पूछ-ताछ करने के बाद एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को भी जाँचने के बाद यह पाया कि जस्टिस वर्मा पर कदाचार साबित होता है
आरोप के सामने आने के बाद उनसे न्यायिक कार्य का कामकाज वापस ले लिया था और उनको दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था अभी वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं परंतु उनके पास कोई भी न्याय कार्य इस समय तक नहीं है
जस्टिस वर्मा ने अपने पक्ष को रखा और खुद को बिल्कुल निर्दोष बताया और यह कहा कि यह मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है।
तीन न्यायाधीशों से बनी जाँच समिति जिसमें जस्टिस शील नागू , जस्टिस जीएस संधावलिया और जस्टिस अनु शिवरामन है उन्होंने मई 2025 में अपनी 64 पन्नों की रिपोर्ट सौपी और उन्होंने कहा कि जो उनके आवास से स्टोर रूम में नगदी पाई गई थी वह स्टोर रूम जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के नियंत्रण में था मौजूदा सक्षों के आधार पर यह साबित होता है कि जो जली हुई नगदी थी वह 15 मार्च 2025 को सुबह के समय वहां से हटा दिया गया था।
जली हुई नगदी स्टोर रूम से हटाए जाने के बारे में जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिकॉर्ड्स पर मौजूद चश्मदीदों की गवाही और पारिस्थितिकजन्य साक्ष्यो से एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों कि समग्रता को देखने पर और जस्टिस वर्मा और उनके परिवार एवं उनके निजी स्टाफ के बयानों में विरोधाभास को देखने पर कमेटी यह कहने के लिए मजबूर है कि जस्टिस वर्मा के बहुत विश्वसनीय घरेलू स्टाफ ने दमकल कर्मियों एवं पुलिस कर्मियों के जाने के बाद 15 मार्च को स्टोर रूम से वह जली हुई नगदी को हटाया था जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में नगदी हटाने वाले स्टाफ के नाम को भी दिए हैं रिपोर्ट काफी विस्तृत है जो की 64 पन्नों की है जस्टिस वर्मा के कार्यकाल की बात करें तो वह जनवरी 2031 तक है
अब सरकार की ओर से महाभियोग लाने की तैयारी की जा रही है और 21 जुलाई से शुरू होने वाले संसदीय सत्र में महाभियोग लाया जाएगा।